हाइपोथायरायडिज्म क्या है ? Hypothyroidism in Hindi (2022)

हाइपोथायरायडिज्म क्या है ? Hypothyroidism in Hindi

हाइपोथायरायडिज्म,इसका अर्थ है (थायरॉइड का कम होना)

हाइपोथायरायडिज्म

हाइपोथायरायडिज्म एक प्रकार का अंडरएक्टिव थायरॉइड रोग है। यह एक सामान्य विकार है। यह तब होता है जब आपकी थाइरोइड ग्रंथि ठीक से थाइरोइड हार्मोन नहीं बना पाती है। सबसे ज्यादा ये रोग महिलाओं में देखने को मिलता है।

हाइपोथायरायडिज्म एक प्रकार का अंडरएक्टिव थायरॉइड रोग है। यह एक सामान्य विकार है। यह तब होता है जब आपकी थाइरोइड ग्रंथि ठीक से थाइरोइड हार्मोन नहीं बना पाती है। सबसे ज्यादा ये रोग महिलाओं में देखने को मिलता है।

बहुत सारे ऐसे कारण है, जिनके कारण थाइरॉइड हो सकता है। इनमें ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, थाइरॉइड रिमूवल , पिट्यूटरी रोग और आयोडीन की कमी जैसे बिकार है।

थाइरॉइड ग्रंथि को एक अन्य ग्रंथि द्वारा नियत्रिंत क्या जाता है जिसको पिट्यूटरी गंथि(Pituitary ग्लैंड) के नाम से भी जाना जाता है। हमारे शरीर में जो हार्मोन्स निकलते है वो पिट्यूटरी ग्रंथि से रक्त प्रवाह द्वारा निकलते है। हार्मोन्स के जारी होने से पहले शरीर के लगभग सारे अंगों पर असर पड़ता है। जिनमे हमारा दिल और दिमाग से लेकर मंश्पेशिया भी शामिल है और

त्वचा भी इस तरह से थाइरॉइड हार्मोन्स का सबसे main उद्देश्य शरीर के मेटाबॉलिशम को नियंत्रित करना होता है।

हाइपोथायरायडिज्म द्वारा TSH (उत्तेजक हार्मोन्)


पिट्यूटरी ग्रंथि आपके पुरे शरीर में हो रहे हार्मोन के निर्माण को देखती है मतलब नियंत्रित करती है। इसका काम थाइरोइड उत्तेजक हार्मोन्स यानी TSH बनाना होता है, जो थाइरोइड ग्रंथि को ये मेसेज देती है कि कितनी क्वांटिटी में थाइरॉइड हार्मोन्स बनाना है अगर आपका TSH लेवल abnormanl रूप से बढ़ रहा है, तो इसका मतलब हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हो।

हाइपोथायरायडिज्म

TSH का लेवल              T3 और T4 का लेवल                 रोग


ज्यादा                                                                ज्यादा ट्यूमर                        ऑफ़ पिट्यूटरी ग्रंथि


कम                                                                    कम                                      सेकेंडरी लेवल हाइपोथायरायडिज्म


कम                                                                    ज्यादा                                   ग्रेव रोग


ज्यादा                                                                  कम                                     हाशिमोतो कि बीमारी



हाइपोथायरायडिज्म से बचने के तरीके ( Prevention of Hypothyroidism )


थाइरॉइड रोगो का इलाज उसके सामान्य लक्षणों को दखते हुए किया जाता है, जबकि थाइरॉइड को कण्ट्रोल करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। थाइरॉइड से जुड़ा कैंसर का इलाज भी मिल चुका है। लेकिन समय तौर पर हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में हार्मोन्स रिप्लेसमेंट कि need होती है। लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाकर भी हाइपोथायरायडिज्म रो रोका जा सकता है।

  • स्मोकिंग करना आज से ही बंद कर दें।
  • तनाव कम करें।
  • रोज एक्सरसाइज करे।
  • पानी को फ़िल्टर करके ही पीएं।
  • अधिक फैट वाला भोजन न करे।
  • आयोडीन युक्त भोजन का सेवन सिमित मात्रा में ही करें।

हाइपोथायरायडिज्म का उपचार देखें ( hypothyroidism Treatment in Hindi )

(हाइपोथायरायडिज्म का इलाज कैसे होगा?)

 

अगर आप हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हैं तो आपको डॉक्टर सलाह देंगे कि आप थाइरॉइड हार्मोन T 4 लेने कि advised देंगे , ये दवा आपको रोज लेनी होगी। यह दवा आपके खराब हार्मोन लेवल को फिर से ठीक क्र देंगी। इससे ये होगा कि हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण और संकेत फिर से ठीक होने लग जायँगे।
इलाज चलने के 2 या 3 वीक के बाद शायद आपको थोड़ा कमजोरी सी हो, धीरे धीरे दवाइया कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम कर देती हैं। जो इस बीमारी कि बजह से काफी बढ़ जाता हैं। आमतौर पर लेवोथीरोक्सिने दवारा किया गया हैं

मरीज को उचित खुराक दें।

  • लीवोथायरोक्सिन(levothyroxine) कि सही खुराक का निर्धारण करने के लिए डॉक्टर मरीज के tsh लेवल कि हर दो या तीन महीने में जांच करेगा। दवाई कि ज्यादा मात्रा से
  • हार्मोन्स का लेवल बढ़ सकता हैं जिससे नतीजा कुछ भी हो सकता हैं जैसे।
  • भूख बढ़ना।
  • दिल में डर बना रहन।
  • कांपना।

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